

रीवा जिले में खाद का संकट ज्यों का त्यों बना हुआ है पिछले कई महीनों से रीवा जिले में खाद की बहुत संकट और किल्लत है जिसकी वजह से किसान दर-दर भटक रहा है और उसको खाद नहीं मिल रही है सहकारी समितियां खाली पड़ी है और किसान खाद कहीं प्राइवेट सेक्टर से खाद दे रहे हैं पर खाद की मोटी रकम देकर।
खाद ना मिलने से किसानों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है किसान दरबदर भटक रहा है खाद के लिए लेकिन उसे खाद नहीं मिल पा रही है आखिर किसान खेती करें कैसे क्योंकि खाद के गोदाम खाली पड़े हुए हैं और अगर कहीं खाद मिल भी नहीं है तो उसके लिए किसान को मोटी रकम चुकानी पड़ रही है ऐसा ही रीवा जिले का हाल है यह किसान दरबदर खाद के लिए भटक रहा है और उसकी कहीं भी मदद नहीं हो पा रही है।
सहकारी समितियां हैं खाली
रीवा जिले में सरकारी समितियां खाली पड़ी हुई है एक जमाने में किसान खाद लेने जाता था पर अब वह सहकारी समितियां में जाता है तो उसको खाली हाथ वापस आना पड़ता है किसानों द्वारा बताया गया कि विगत 2 महीनों से खाद की समस्या है और उन्हें कहीं भी खाद नहीं मिल रही है जब सहकारी समिति में जाते हैं तो उनको वहां से खाली हाथ लौटना पड़ता है।
सहकारी समिति चोराहटा पड़ी है खाली : किसान
सहकारी समिति चोराहटा खाली पड़ी है चोराहटा सहकारी समिति में चोराहटा से लगे अनेकों गांव से किसान आया करते थे और यहां से खाद ले जाया करते थे लेकिन कुछ महीनों से सहकारी समिति में खाद उपलब्ध नहीं है चोराहटा से लगे हुए गांव जैसे कि खैरा, कपूरी कराहिया नंबर दो, महिदल, अगड़ाल, बाबूपुर, खोखाम आदि गांव आते हैं जहां से किसान खाद के लिए सहकारी समिति आता है लेकिन उसे खाद नहीं मिलती है और वह खाली हाथ लौट जाता है।
किसानों को नही मिल रही खाद
यह बहुत चिंता के विषय है कि किसानों को खाद नहीं मिल रहा है और वह इधर उधर भटक रहा है सहकारी समितियों में खाद नहीं मिल रहा है और अगर प्राइवेट से किसान खाद खरीद रहा है तो उसको 1416 ₹100 में खाद मिल रही है आखिर एक गरीब किसान इतने रुपए देकर खाद कैसे खरीदेगा किसानों का यह कहना है कि बुवाई का समय बीता जा रहा है और किसान इसी चिंता में है अगर खाद नहीं मिली तो बुवाई कैसे होगी और किसान को किसान क्रेडिट लोन बैंक से मिला है उनको खाद नहीं दिया जा रहा है और ना ही उनको नगद में खाद मिल रही है यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसान को ही खाद नहीं मिल रही और वह खाद के लिए भटक रहे हैं।
कलेक्टर से किसानों की मांग
किसानों की कलेक्टर से यह मांग है कि उन्हें खाद की अभी बहुत जरूरत है क्योंकि बुवाई का समय जो है वह निकला जा रहा है और किसान इधर उधर भटक रहा है उसको ना सहकारी समिति में खाद मिल रही और ना ही उसे कहीं नगद खाद मिल पा रही है और जिस किसान को किसान क्रेडिट लोन बैंक से है उसे कहीं भी खाद नहीं मिल रही है इस समस्या को जल्द ही सुलझाया जाए यही किसानों की मांग है।
सिर्फ कागजों में हैं खाद उपलब्ध
जहां तक सरकार का दावा है की खाद पूर्णता है उपलब्ध है पर अगर सच्चाई देखे तो खाद सिर्फ कागजों में ही उपलब्ध है और जिस किसान को खाद चाहिए वह दर-दर भटक रहा है सरकार का कहना है कि खाद उपलब्ध है लेकिन सच्चाई यह है कि यहां किसान को खाद नहीं मिल पा रही है। आखिर कौन है इस बात का जिम्मेदार?
आखिर क्यों है सहकारी समितियां खाली?